Navratri 2020 Importance Of Devi Durga Puja : Timings, Puja Muhurat

Navratri 2020 Importance Of Devi Durga Puja : Timings, Puja Muhurat:
Navratri 2020 is regarding the corner and people have already started to gear occurring for this 9-hours of daylight long celebration. This years Navratri is special as it will commence exactly a month after Pitra Paksha. Also Read – COVID-19 Impact: No Government Organised Navratri Festival in Gujarat This Year

Navratri literally means nine-night and it is one of the most significant Hindu festivals that will be observed from October 17th this year. This auspicious occasion will last till October 25th. On October 25/26, Vijayadashami nom de plume Dussehra will be terribly praised. It marks the buttonhole of Navaratri all year. During Navaratri, devotees adoration nine forms of Goddess Durga namely Shailaputri, Brahmacharini, Chandraghanta, Kushmanda, Skanda Mata, Katyayani, Kalaratri, Mahagauri, and Siddhidatri. Also Read – Guidelines For Durga Puja, Navratri, Parliament Session to be Released Soon

In West Bengal, Durga Puja has a special significance. This 5-day festivity will inauguration from October 22 and will last till 26. During this time, Bengalis celebrate the victory of Maa Durga who is an embodiment of facility, more than the King of Demons, Mahishasura.

According to Drikpanchang, this year, Ashtami Tithi begins at 06:57 AM on Oct 23, 2020, and ends at 06:58 AM on Oct 24, 2020. Sandhi Puja Muhurat is from 06:34 AM to 07:22 AM.

Here we also share a complete day-wise calendar of Navratri and Durga Puja as per Drikpanchang.

October 17, Day 1 – Pratipada, Ghatasthapana, Shailputri Puja

October 18, Day 2 – Dwitiya, Chandra Darshana, Brahmacharini Puja

October 19, Day 3 – Tritiya, Sindoor Tritiya, Chandraghanta Puja

October 20, Day 4 – Chaturthi, Kushmanda Puja, Vinayaka Chaturthi, Upang Lalita Vrat

October 21, Day 5 – Panchami, Skandamata Puja, Saraswati Avahan

October 22, Day 6 – Shashthi, Katyayani Puja, Saraswati Puja

October 23, Day 7 – Saptami, Kalaratri Puja

October 24, Day 8 – Ashtami, Durga Ashtami, Mahagauri Puja, Sandhi Puja, Maha Navami

October 25, Day 9 – Navami, Ayudha Puja, Navami Homa, Navratri Parana, Vijayadashami

October 26, Day 10 – Dashami, Durga Visarjan

Navratri 2020 Importance Of Devi Durga Puja Calendar

October 21, Day 1 – Panchami, Kartik 04, 1427, Bilva Nimantran, Kalparambha, Akal Bodhon, Amantran and Adhivas

October 22, Day 2 – Shashthi, Kartik 05, 1427, Navpatrika Puja, Kolabou Puja

October 23, Day 3 – Saptami, Kartik 06, 1427

October 24, Day 4 – Ashtami, Kartik 07, 1427, Durga Ashtami, Kumari Puja, Sandhi Puja, Maha Navami

October 25, Day 5 – Nabami, Kartik 08, 1427, Bengal Maha Navami, Durga Balidan, Navami Homa, Vijayadashami

October 26, Day 6 – Dashami, Kartik 09, 1427, Durga Visarjan, Bengal Vijayadashami, Sindoor Utsav

Navratri 2020 Importance Of Devi Durga Puja Colors

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है. मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

प्रतिपदा- पीला

द्वितीया- हरा

तृतीया- भूरा

चतुर्थी- नारंगी

पंचमी- सफेद

षष्टी- लाल

सप्तमी- नीला

अष्टमी- गुलाबी

नवमी- बैंगनी

नवरात्रि पूजा विधि

– सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें

– ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें

– पूजा की थाल सजाएं

– मां दर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें

– मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें

– पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें, इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें

– फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें

– नौ दिनों तक माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें

– अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं

– आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें माँ की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं

नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां पार्वती माता शैलपुत्री का ही रूप हैं और हिमालय राज की पुत्री हैं. माता नंदी की सवारी करती हैं. इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल का फूल है. नवरात्रि के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है. यह रंग साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पूजा का भी विधान है.

नवरात्रि का दूसरे दिन की जाती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. माता ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब माता पार्वती अविवाहित थीं तब उनको ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाता था. यदि माँ के इस रूप का वर्णन करें तो वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में जपमाला है. देवी का स्वरूप अत्यंत तेज और ज्योतिर्मय है. जो भक्त माता के इस रूप की आराधना करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन का विशेष रंग नीला है जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है.

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की होती है पूजा

नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम पड़ा था. शिव के माथे पर आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है. नवरात्र के तीसरे दिन पीले रंग का महत्व होता है. यह रंग साहस का प्रतीक माना जाता है.

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्माण्डा की होती है आराधना

नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्माडा की आराधना होती है. शास्त्रों में मां के रूप का वर्णन करते हुए यह बताया गया है कि माता कुष्माण्डा शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं. पृथ्वी पर होने वाली हरियाली मां के इसी रूप के कारण हैं. इसलिए इस दिन हरे रंग का महत्व होता है.

नवरात्रि का पांचवां दिन होती है स्कंदमाता की पूजा

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता का पूजा होता है. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भगवान कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है. स्कंद की माता होने के कारण मां का यह नाम पड़ा है. उनकी चार भुजाएं हैं. माता अपने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करती है. इस दिन धूसर (ग्रे) रंग का महत्व होता है.

नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायिनी की होती है पूजा

मां कात्यायिनी दुर्गा जी का उग्र रूप है और नवरात्रि के छठे दिन मां के इस रूप को पूजा जाता है. मां कात्यायिनी साहस का प्रतीक हैं. वे शेर पर सवार होती हैं और उनकी चार भुजाएं हैं. इस दिन केसरिया रंग का महत्व होता है.

नवरात्रि के सातवें दिन करते हैं मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्र के सातवें दिन मां के उग्र रूप मां कालरात्रि की आराधना होती है. पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब मां पार्वती ने शुंभ-निशुंभ नामक दो राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था. हालांकि इस दिन सफेद रंग का महत्व होता है.

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की होती है आराधना

महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन होती है. माता का यह रूप शांति और ज्ञान की देवी का प्रतीक है. इस दिन गुलाबी रंग का महत्व होता है जो जीवन में सकारात्मकता का प्रतीक होता है.

नवरात्रि का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा

नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है. ऐसा कहा जाता है कि जो कोई मां के इस रूप की आराधना सच्चे मन से करता है उसे हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है. मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएं हैं.

नवरात्र का इंतजार, सभी मांगलिक कार्य होंगे शुरू

इस बार नवरात्रि एक महीने देर से शुरू हो रहा है. जिसके कारण सभी प्रकार के मांगलिक कार्य अटके हुए है. अब लोग नवरात्र का इंतजार कर रहे है. इन दिनों अधिकमास (पुरुषोत्ताम मास) चल रहा है. अब नवरात्र से ही शुभ लग्न शुरू हो सकेंगे.

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