, एक नगर में एक आदमी रहता था पर उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता था वह बहुत ही परेशान हो गया था क्योंकि उसका मन किसी भी काम में नहीं लगता था.

उसी नगर में एक साधु महाराज जी आए हुए थे सभी लोग कहने लगेगी साधु महाराज जी सभी की समस्याओं का हल कर देते हैं यह बात आदमी को भी पता चल गई कि साधु महाराज जी ही हैं जो मेरी समस्या का समाधान कर सकते हैं

आदमी महाराज जी के पास गया और कहने लगा महाराज जी कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे कि मेरा मन मेरे कामों में लग जाए साधु महाराज जी ने उसको बड़ी ध्यान से देखा और उसके हाथ में एक थैला था जो कि वह पकड़े हुए था

फिर साधु महाराज जी उसके साथ चल दी और कहा कि चलो हम एक सैर पर जाते हैं जिससे कि तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा और मुझे तुम्हें समझने में थोड़ा समय मिल जाएगा जैसे ही वह व्यक्ति साधु महाराज जी के साथ चलने लगा तो

एक जंगल आया और दोनों ही लोग वहां पर विश्राम करने लगे उस व्यक्ति को प्यास लगी और वह साधु महाराज से बोला कि मैं पानी देख कर आता हूं आप मेरे इस थैला का ध्यान रख लीजिएगा जब वह आदमी पानी ढूंढने के लिए जा रहा था तो अपने थेले को बार-बार देख रहा था

जब व्यक्ति पानी पीकर वापस लौटा तो देखा कि थैला वहां नहीं था इस पर उसने साधु महाराज से कहा कि जो मैंने आपके पास थैला रखा था वह कहां गया साधु महाराज जी ने बोला कि वह तो एक जानवर है यहां से उठाकर ले गया है

तब साधु महाराज जी ने कहा कि तुम्हारी परेशानी सिर्फ उस थैला से थी उस थैला में बहुत सारी स्वर्णमुद्राएं थी जिन्हें लेकर तुम हमेशा चिंतित रहते थे इसलिए तुम्हारा मन काम में नहीं लगता था अब वह नहीं है तो

अब तुम्हारा मन हर जगह लगेगा साधु की बात सुनकर वह व्यक्ति समझ गया कि मेरा लालच ही मुझे किसी काम में है नहीं बढ़ने दे रहा था और ना ही मेरा मन काम में लग रहा था अब वह वापस घर जाकर अपने काम में लग गया.

दोस्तों अगर हम भी अपने जीवन में मोह को त्याग देते है तो इससे हमारा जीवन भी खुस्मय होगा और हम अपने कार्यो को भी बेहतर तरीको से कर सकते है.

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